Friday, 25 October 2013

मो-दी मो-दी

चुँकि मैं अभी एक २० वर्षिय युवक ही हूँ, इसलिऐ राजनीति को इतिहास की नज़र लगाकर नहीं देख पाता। लेकिन प्रत्येक राजनैतिक बयान को समझने के लिये कुछ गूगल जरूर किया है।
परिणाम यह पाया है कि हिन्दूस्तान की दोनों मुख्य पार्टियों के कथित सफेद चोले पर काले दाग हैं। काँग्रेस पार्टी की कमजोर नब्ज ७४ है वहीं बीजेपी बाबरी व मोदी के आने के बाद गोधरा पर घिर ही जाती है।
काँग्रेस को  तो नहीं लेकिन शायद बीजेपी को बाबरी का इतिहास ही वर्तमान में १९९८ में सरकार बनाने के लिये टोनिक सिद्ध हुआ।
मैं मानता हूँ कि ९२ की घटना, इतिहास के बोझ को सर पर ढोने के कारण हुई। और गोधरा तात्कालिक अंधी (शायद आवश्यक भी) प्रतिक्रिया का परिणाम था।
लेकिन अगर २०१४ में भारत का ५ वर्ष का भाग्यविधाता साम्प्रदायिक इतिहास देखकर करेंगे तो किसी को पाना मुश्किल ही है। लेकिन विकास की नजर से सोचें तो नरेंद्र मोदी को चुनने में ही इस भारत का कल्याण है।

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